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क्या कसूर था आखिर मेरा ? भाग 27



उस नर्स के मुँह से ये सुन की अंजली  के पिता को अर्जुन के खिलाफ  सबूत  मिल गया  है । चरण  सिंह , अर्जुन और उसकी माँ खामोश  हो गए ।

लेकिन तभी  चरण  सिंह  गुस्से में उस नर्स के पास आया  और उसकी चोटी पकड़  कर  बोला " झूठ  बोलती है  मुझसे  जानती नही मैं तुझे  यही  इसी हवेली  के आंगन  में जिन्दा गढ़वा दूंगा  तब  भी  किसी को कानो कान खबर  नही होगी। पेसो के लालच में तू  झूठी  कहानी  बना  रही  है  "

"न,,,, न,,,,, न,,,,, नही मालिक मेरा यकीन  कीजिये मैं झूठ  नही बोल रही  हूँ। मेने स्वयं अपने कानो से सुना था  उस आदमी  को अपनी बेटी को बताते हुए  कि इस्पेक्टर साहब  को वो बोतल मिली है  जिसपर  छोटे  मालिक की उंगलियों के निशान  है  और उसने उसे जाँच  कराने  भेजा  है  " नर्स ने कहा


तभी  अर्जुन की माँ चरण  सिंह  के पास आती  और कहती  " क्या पता  ये सही  बोल रही  हो, हमरा  बेटा कही  मुश्किल में ना फस  जाए आप  इतने यकीन  से कैसे कह  सकते  है  की ये झूठ  बोल रही  है  "

"इसलिए  क्यूंकि कमलेश  ने मुझे  बताया  था  की उसने इस्पेक्टर से पूछा  था  उस बोतल  के बारे में, तो इस्पेक्टर ने बताया  की वो बोतल जिस पर  उंगलियों के निशान  थे  मिट चुके  है  और वो अब बेकार हो चुकी  है  " चरण  सिंह  ने कहा

"अगर ये नर्स सही  कह  रही हुयी तब  हमरा  बेटा फस  सकता  है  कुछ  कीजिये अर्जुन के पिता जी हमरे  बेटे के लिए  वो इस्पेक्टर इसे जैल  भेजनें की तैयारी कर  रहा  है  " अर्जुन की माँ ने कहा


"नही, नही मैं जैल  नही जा सकता , उस छोकरी  की इतनी हिम्मत मुझे  जैल  भेजेगी  मुझे  जैल  भेजनें से पहले  मैं उसे इस दुनिया से ही भेज  दूंगा  और उस इस्पेक्टर को भी  देख  लूँगा  जो जल  में रहकर  मगर  से बेर करने  चला  है " अर्जुन ने कहा और बाहर  की तरफ  जाने लगा 


"अर्जुन वापस  आ , वरना  मजबूरन  मुझे  कोइ गलत  कदम  उठाना  पड़ेगा  " चरण  सिंह  ने गुस्से में अर्जुन को रोकते हुए  कहा

"रुक जा मेरे बेटे, तेरे पिता जी कोइ ना कोइ रास्ता जरूर  निकाल लेंगे। भगवान  के लिए  रुकजा " अर्जुन की माँ ने उसे पीछे  से पकड़ते  हुए  कहा

अर्जुन रुक गया ।

चरण  सिंह  ने कहा " गांव वालो को अगर  सच  पता  चल  गया  तो, हम  सब  को वो ज़िंदा जला  देंगे मुझे  कुछ  करना  होगा तेरी वजह  से आज  फिर  हम  मुसीबत  में पड़  गए  है  तेरी वजह  से मेरी कुर्सी मुझसे  छिन  जाएगी एक दिन और मेरा राजनीतिक  सफर  सिर्फ और सिर्फ तेरी वजह  से खतरे  में आ  जाएगा एक दिन "


"ये सब  छोड़िये  ये बताइये  अब क्या करना  है , कैसे अर्जुन को बचाएंगे " अर्जुन की माँ ने कहा

"कमलेश  को फ़ोन  लगा  " चरण  सिंह  ने अर्जुन से कहा

अर्जुन ने कमलेश  को फ़ोन  लगाया ।

"क्या बात है  भांजे  साहब  आज  बड़े  दिनों बाद मामा की याद आयी  " कमलेश  ने कहा 

अर्जुन घबराते  हुए  " म,,, म,,,, म,,, मामा आप  किधर हो "

"क्यू भांजे  किया हुआ, अब कोनसा कांड कर  दिया जो मेरी ज़रुरत  आन  पड़ी  मैं तो थाने  में बैठा  हूँ " कमलेश  ने कहा

"मामा, ये लीजिये पिता जी से बात कीजिये "अर्जुन ने मोबाइल चरण  सिंह  को देते हुए  कहा।

"प्रणाम जीजा जी, क्या हुआ भांजा बहुत  ही परेशान  लग  रहा  है , सब  कुछ  ठीक  तो है  ना" कमलेश  ने कहा

"वाह, वाह कमलेश  वाह, तुझे  बहुत  भरोसा  था  थाने  में अपनी कुर्सी की ताकत पर  कहता  था , की कोइ भी मेरे साथ  गद्दारी नही कर  सकता ,तुझे  तो अपनी पेनी नज़र  पर  बहुत  भरोसा  था  और तेरी ही नाक के नीचे  तेरे भांजे  को फ़साने की साज़िश  होती रही  और तुझे  कुछ  खबर  ही नही केसा स्पेक्टर है  तू, हाथ  में चूड़िया  पहन  ले "चरण  सिंह  ने कहा


कमलेश  इस तरह  की बाते सुन अपनी कुर्सी से खड़ा  हो गया  और बोला " जीजा जी ये किस तरह  की बाते कर  रहे  है  आप , क्या हुआ खुल  कर  बताइये  मुझे  जो मुझे  भी  तो पता  चले  कि आखिर  बात क्या हुयी है  और क्यू मुझे  हाथो  में चूड़ियाँ पहन  लेनी चाहिए  "


"तेरी नाक के नीचे  वो इस्पेक्टर जो उस छोकरी  का केस  देख  रहा  है , उसने उसके बाप से उसकी बेटी को इंसाफ दिलाने के वायदे कर  लिए  है  , वो उस बोतल  को जाँच  के लिए  भेज  चुका  है  और तू  मजे  से थाने  में बैठ  कर  मुफ्त कि चाय  और बिस्कुट खा रहा  है  " चरण  सिंह  ने कहा

ये सुन कमलेश  ने कहा " नही ऐसा नही हो सकता  उस दो टके  के स्पेक्टर की इतनी हिम्मत की वो मुझसे  झूठ  बोले, मुझको  अँधेरे  में रख  कर  मेरे भांजे  को सलाखों  के पीछे  भेजनें की तैयारी  करे  नही जीजा जी, आपको  कुछ  गलत  फ़हमी  हुयी है  मेरा नाम कमलेश  है । इस थाने  में हर  किसी की मेरे आगे  जुबान कट कर  गिर जाती है  और आप  कह  रहे  हो की एक छोटा  सा इस्पेक्टर मुझे  धोखा  दे रहा  है । जरूर  किसी ने आपके  साथ  मज़ाक  किया है  "


"मज़ाक  तो तेरे साथ  किया है , उस स्पेक्टर ने तुझे  झूठी  कहानी सुना कर  की बोतल  पर  निशान  मिट चुके  है  जबकी  वो बोतल तो उसने जाँच  के लिए  भेज  दी है । तू  तुरंत  घर  पर  आ  जहाँ कही  पर  भी  है , तुझे  मिलवाता हूँ किसी से तो तु खुद  सुन लेना उसके मुँह से कि किस तरह  तेरे ही थाने  के हवलदार  तुझसे  बाते छिपा रहे  है  " चरण  सिंह  ने कहा


"ठीक  है  जीजा जी, अगर आप  कह  रहे  है  तो मैं खुद  आकर  उससे मिल लेता हूँ जिसने ये खबर  आप  तक  पंहुचाई  है , अगर  के वो सच  कह  रहा  है  और इस्पेक्टर ने मुझसे  झूठ  बोला है  तब  उसे मेरे केहर से कोइ नही बचा  सकता  धरती  की सतह  में भी  चला  जाएगा तब  भी  मेरी नज़रे  उसे तलाश  कर  ही लेंगी और मेरे साथ  बगावत  करने  की उसे ऐसी सजा  दूंगा  की उसकी सात पुश्ते याद रखेंगी  " कमलेश  ने कहा और फ़ोन  जेब में रख  कर  ज़ोर से मेज पर  हाथ  मारा और बाहर  खड़े  हवलदार  को आवाज़  दी


हवलदार  " जी साहब  कुछ  चाहिए  "

"सतवीर  कहा गया  है  " कमलेश  ने गुस्से में पूछा 

हवलदार  " साहब  इस्पेक्टर साहब  तो अस्पताल गए  है  "

"अस्पताल किस लिए  " कमलेश  ने हेरत से पूछा 

"साहब  वो उस लड़की  को होश  आ  गया  है  तो उसी का बयान  लेने गए  है  " हवलदार  ने कहा


"लेकिन उसका बयान  तो किसी और ने लेने जाना था  " कमलेश  ने पूछा


"साहब , उन्होंने ही कहा कि वो खुद  उसका बयान  लेने जाएंगे  ताकि कुछ  पूछना  छूट  ना जाए " हवलदार  ने कहा


"आह , आह  सतवीर  आह , इसका मतलब  तूने  मुझसे झूठ  कहा, आग  से खेल  रहा  है  बुरी तरह  जल  जाएगा " कमलेश  ने हलके  से कहा

"कुछ  कहा साहब  आपने " हवलदार  ने पूछा 

"कुछ  नही जा जाकर अपना काम कर , और इस्पेक्टर सतवीर  जैसे ही थाने  पहुंचे  मुझे  कॉल कर देना " कमलेश  ने कहा और गाड़ी कि चाबी  लेकर  चला गया 


वही  दूसरी  तरफ  अंजली  ने उस भयानक  रात की एक एक बात तफसील  से बयान करदी  उसकी आँखे  भर  आयी  थी । वो दुर्जन के सीने  से लग  कर  रोने लगी ।

हवलदार  ने उसके दस्तखत  लिए  उसका हाथ  कांप रहा  था ।

"साहब , अब तो आप  उस राक्षस को पकड़  लेंगे जिसने मेरी बेटी की जिंदगी तबह  कर  दी " दुर्जन ने पूछा 


"बस  थोड़ा  और इंतज़ार  कल  को उंगलियों की रिपोर्ट आ जाएगी उसके बाद हमारे  पास पक्का सबूत  होगा की जो कुछ  भी  अंजली  ने कहा एक दम  सच  है  उस रात उस दरिंदे  ने जैल  से भाग  कर  अंजली  की ये हालत  की और उसके इस गिन्होने काम में उसके पिता और मामा भी  शामिल  थे । बस  थोड़ा  इंतज़ार  और "सतवीर  ने कहा


"सुना बेटी, स्पेक्टर साहब  क्या कह  रहे  है , बस  एक रात और कल  सब  के सामने, सारे गांव वालो के सामने तेरी बेगुनाही सामने आ  जाएगी फिर  तू  पहले  वाली अंजली बन  जाएगी। मैं तुझे  और माँ को लेकर  शहर  चला  जाऊंगा फिर  वहा  तेरा इलाज होगा। फिर  तू  वही  पहले  वाली अंजली  बन  जाएगी।" दुर्जन ने कहा



स्पेक्टर सतवीर  और उसके साथ  आये  लोग बयान  लेकर  वहा  से चले  गए ।



दुर्जन अंजली  को अपने सीने  से लगाए  बैठा  था , अंजली  की आँखे  आंसुओ  से भरी  थी । दुर्जन उसके आंसू  साफ करते  हुए  बोला बेटा रोने की कोइ बात नही, अब रोने के दिन उनके है । तू  ये दवाई  खा और आराम  कर , मैं जाकर अम्मा को देख  कर  आता  हूँ उन्होंने भी  कुछ  खाया  की नही।

"पिता जी दादी केसी है , मैं तो पूछना  भूल  गयी  क्या वो मुझे  देखने  भी  नही आयी, क्या वो भी  मुझे  कसूर वार समझ  रही  है  " अंजली  ने पूछा 


दुर्जन खामोश  हो गया  थोड़ी  देर के लिए  और फिर  अंजली  को समझाते  हुए  बोला " कल  जब  सारी सच्चाई  सब  के सामने आ  जाएगी तब  अम्मा किया, पूरा गांव तुझे  बेक़सूर  कहेगा , फिर  तू  सर  उठा  कर  वही  पुरानी वाली अंजली  बन  जाएगी "

वो अंजली  तो अब मर  गयी  शायद  ही कभी  वो अब मेरे अंदर  ज़िंदा हो पायेगी, उसकी आत्मा तो इस शरीर  को छोड़  कर  उस रात ही इस जिस्म से निकल  गयी  थी  अब मैं एक ज़िंदा लाश  हूँ जिसे अब अपने इसी बदसूरत  चेहरे  के साथ  इस बेरहम  दुनिया का सामना करना  होगा मुझे  इंसाफ मिल भी  गया  तो फिर  भी  दुनिया मुझे  ही कसूरवार  ठहराएगी  और कभी  भी  मुझ  बदसूरत  को अपने समाज में बसने  नही देगी, कही  ना कही  किसी ना किसी रूप  में मेरा अतीत  मेरे सामने आकर  खड़ा  हो ही जाएगा चाहे  में जिंदगी में कितनी ही आगे  निकल  जाऊ, मैं उस रात का दर्द कभी  नही भूल  सकती। अंजली  ने दुर्जन की बात को बीच  में ही काटते हुए  कहा।


दुर्जन ने अंजली  को अपने सीने से लगाया  और कहा " मत  रो मेरी बेटी, मत  रो भगवान  एक दिन सब  ठीक कर  देंगे एक दिन सब  को अपने किए  की सजा  भुगतनी  होगी चाहे वो साहूकार हो, उसका बेटा हो या फिर  अमित हो सब  एक दिन पछताएंगे । बस  तू  हिम्मत मत  हारना तू  खुद  ही अपना सहारा  बनना , मैं अगर  मर  भी  जाऊ फिर  भी  तू  अकेली मत  पड़ना  मैं रहू  या ना रहू  लेकिन ईश्वर  हमेशा  तेरे साथ  रहेंगे । वो अपने बंदे का इम्तिहान लेता है  और देखता  है  की उसकी मुझमे  कितनी आस्था  और विश्वास है । चल  अब ये दवाई  खा और आराम  कर  मैं जब  तक  माँ को देख  कर  आता  हूँ "


दुर्जन वहा  से चला  जाता है  अंजली  भी  दवाई  खा लेती है । लेकिन उसकी आँखों  में उस रात का मंज़र  बार बार आ रहा  था  वो चाह  कर  भी  अपनी आँखे  बंद  नही कर  पा रही  थी ।

उसे मंजू  की याद आ  रही  थी । वो समझ  गयी  थी  की उसके ससुराल  वालो ने उसे आने  नही दिया होगा नही तो वो उससे मिलने ज़रूर  आती । पल भर  में ही सब  कुछ  बदल  गया  अंजली  का जहाँ कल  तक  वो अपनी शादी  की तैयारी कर  रही  थी , अमित के साथ  नयी  जिंदगी के ख्वाब अपनी आँखों  में सज़ो  रही  थी  लेकिन पल  भर में ही सारे ख्वाब चकना  चूर  हो गए। इसी सोच  विचार  के साथ उसने अपनी आँखे  बंद  की और वो सो गयी ।


दुर्जन घर  आ  चुका  था । अम्मा बाहर  पलंग  पर  बैठी  थी  उसे देखते  ही बोल पड़ी  " मिल गयी  तुझे  फुर्सत उस कलमूही  से, आ  गया  तुझे  ख्याल  अपनी बूड़ी  माँ का "

दुर्जन खामोश  रहा  और माँ के पास  आकर  बैठ  गया  और बोला " अम्मा तुम्हे भूख  लगी  होगी कुछ  बना  कर  लाता हूँ "

"शुक्र है  जो तुझे  इस बूड़ी  माँ की भूख  का कुछ  ख्याल  आया । वरना  तो तू  अस्पताल का ही हो कर  रह  गया  है , तूने  भी  कुछ  खाया  या बस  यूं ही दिनों रात उस मनहूस  की सेवा में लगा  है  " अम्मा ने कहा


"अम्मा जिसकी जवान  बेटी के साथ  ऐसा कुछ  हुआ हो, उसका चेहरा  जो अब जल  चुका  हो जिसकी बारात  चौखट से लोट गयी  हो पूरा  गांव जिसे कसूरवार  समझ  रहा  हो भला  ऐसी हालत  में किस बाप का दिल करेगा खाना  खाने  को " दुर्जन ने कहा नम आँखों से


"जो कुछ  भी  हुआ है  वो सब  तेरी बेटी ने ही क्या है , आज  वो जिस हाल में है  उसकी कसूरवार  वो खुद  है  कितना मना  करती  थी  इतनी छूट  मत  दे, रस्सी कसके  रख  उसकी, लेकिन नही तुझे  तो कुछ  समझ  आता  ही नही था  बेटी के मोह की वजह  से। इसी दिन के लिए  डरती  थी  मैं, और देखो  आज  वो दिन देख  लिया किस कदर बदनामी  का सबब  बनी  तेरी वो मनहूस  बेटी की कोइ भी  इस घर  की चौखट  के अंदर  कदम  रखने  से भी  डर  रहा  है  " दुर्जन की माँ और कुछ  कहती  तभी  दुर्जन उठ  खड़ा  हुआ और चीख  कर  बोला

बस अम्मा बस , बहुत  हो गया  मेरी बेटी को कसूरवार  कहना  बंद  करो , कल  को तुम और ये सारा गांव देख  लेगा की असली गुनेहगार कौन है । और मेरी बेटी आज  भी  उतनी पवित्र है  जितनी की उस हादसे से पहले  थी । बस  आज  रात का और इंतज़ार  करलो  फिर  कल  सब  का मुँह बंद  हो जाएगा।


"ऐसा भी  क्या होगा कल , कल  को क्या साक्षात् भगवान खुद  आकर  उसकी गवाही  देंगे, ऐसा क्या होगा कल  जो तू  इतने यकीन  से कह  रहा  है  " अम्मा ने कहा


"ऐसा ही समझो  अम्मा, भगवान  स्वयं धरती  पर  नही आते  लेकिन वो धरती  पर  किसी ना किसी रूप  में अपने किसी अवतार को ज़रूर  भेजते  है  राक्षसों का अंत करने  और शायद  स्पेक्टर सतवीर  भी  उन्ही में से एक रूप  है और मुझे  पूरा भरोसा  है  की वो कल  पंचायत  के सामने अर्जुन और उसके बाप को खींच  कर  ज़रूर  लाएंगे  और सजा  भी  ज़रूर  दिलाएंगे  " दुर्जन ने कहा


"देखेंगे  कौन किसका कितना साथ  देता है " अम्मा ने कहा और वहा  से चली  गयी 

"हाँ, अम्मा देखेंगे  मुझे  भगवान  और स्पेक्टर सतवीर  पर  पूरा  भरोसा  है  मेरी बेटी को इंसाफ मिल कर  रहेगा  कल  सारा गांव देखेगा  कलयुग  के रावण  का असली चेहरा ।" दुर्जन ने कहा और रसोई  में चला  गया  कुछ  खाना  बनाने 



कमलेश  जो की साहूकार के घर  की और बढ़ रहा  था  और मन ही मन  कह  रहा  था  " सतवीर  अगर  तू  मेरे पीठ  पीछे  खेल  खेल  रहा  है , तो इस खेल  को शुरू  तो तूने  किया है लेकिन खत्म मैं करूंगा । इस खेल  की तुझे  बहुत  बड़ी  कीमत  चुकानी पड़ेगी  तेरी ये ईमानदारी तुझे  कही  का नही छोड़ेगी । अगर मुझे  पता  चला  की इन सब  मैं तेरा हाथ  है  और तूने  मुझे  झूठ  कहा  था तो तू  तो गया  "


कमलेश  गुस्से में चरण  सिंह  के घर  घुसता  और कहता  " कहा है  वो जिसने ये सब  बताया  है , मेरे सामने लाओ उसे मैं अपने कानो से सुनना चाहता  हूँ "

पास  खड़ी  नैंसी उसे देख  डर  गयी  और थर  थर  काँपने लगी ।


क्या होगा नैंसी का, क्या नैंसी कमलेश  को वही  सब  कुछ  बता  पायेगी जो उसने चरण  सिंह और अर्जुन को बताया  था । जानने के लिए  पढ़ते  रहिये  

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6 Comments

Rahman

14-Jul-2022 10:33 PM

Bhut khoob

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Chudhary

14-Jul-2022 10:06 PM

Nice

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Abhinav ji

14-Jul-2022 09:16 AM

Nice👍

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